कैसे बचें बेटियां
आवरण कथा October 12, 2015
रवि शंकर
...भारतीय पंरपरा के मूल ग्रंथ वेद स्त्रियों के प्रति काफी सम्मान रखते थे और उनके बिना समाज ही नहीं सृष्टि की ही कल्पना को असंभव मानते थे। स्त्रियों की उत्पत्ति और उनके समाज में महत्व को दर्शाने के लिए ऋग्वेद और अथर्ववेद में एक ब्रह्मजाया सूक्त पाया जाता है। इस सूक्त के पहले मंत्र में कहा गया है कि, ‘आरम्भ में परमेश्वर द्वारा सृष्टि उत्पत्ति के पुण्य कार्य की समाज/संसार की अवनति को रोकने के लिए परमेश्वर ने सबसे पहले कन्या को उत्पन्न करने की आवश्यकता प्रतीत की। ऋत द्वारा सम्पन्न इस कार्य के लिए सृष्टि उत्पन्न करने वाले परमेश्वर के प्रतिनिधियों, आदित्य, सलिल और वायु ने नवजात कन्या को विशेष सामथ्र्य प्रदान करने के बारे में मन्त्रणा की। वेद के अनुसार तप द्वारा अर्जित बलवानों की उग्रता जैसे रामायण काल मे उग्र बलशाली रावण जैसे राक्षसों का अहंकार भरा मतान्ध आचरण या महाभारत काल मे दुर्योधन का आचरण या आधुनिक काल मे बलशाली तानाशाहों के अत्याचार ही समाज की अवनति का कारण होते हैं। इस उग्र पापाचारी शक्ति को हरने के लिए जिस प्रकार गर्मी को ठन्डा करने के लिए शीतल जल डाला जाता है, उसी प्रकार के गुणों से संसार मे सुख प्रदान करने के लिए परमेश्वर ने सबसे पहले कन्या रूपी देवी को बनाया।...
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