पटना। होली है-होली गीतों के कैसेट भी आए हैं, पर बड़ा सवाल यह कि क्या इन होली गीतों में हमारी वैदिक संस्कृति है? कैसेट -सीडी की तो छोड़िये, अब परंपरागत सनातन आधारित होली गाने वालों की संख्या भी बहुत कम हो गई है। ये अमूल्य धरोहर न कलमबंद हैं, न तो इनकी रिकार्डिग ही हुई है। खतरा यह कि कहीं ये गीत कथा बन कर न रह जाएं। कला सागर के अध्यक्ष डॉ. उमेश नाथ द्विवेदी ने कहा कि कला संस्कृति मंत्रालय को हर जिले के फाग की रिकार्डिग करा धरोहर के रूप में रखना चाहिए। प्रतिस्पर्धा करा कर इसे बढ़ावा देने की योजना शुरू करनी चाहिए।...
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