मानवीय मूल्यों के बदलते स्वरूप को बयां कर गई तब और

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मानवीय मूल्यों के बदलते स्वरूप को बयां कर गई तब और

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कालिदास रंगालय में रागा की ओर से कथा रंग महोत्सव के मौके पर तब और अब कहानी का हुआ मंचन

पटना - एक ओर जहां समाज में समाप्त हो रहे कर्तव्यों का एहसास तो दूसरी ओर विकास के रफ्तार के साथ मानवीय मूल्यों की कहानी बदल गई। समय बदलने के साथ मानव के जीवन तनाव, ¨हसा और बहुत कुछ जल्द पाने की लालसा हो गई है। जिसके कारण मानवीय मूल्यों के भी मायने बदल गए। सामाजिक मूल्यों से जुड़ी कुछ ऐसी ही कहानी सोमवार को कालिदास रंगालय के प्रेक्षागृह में दर्शकों को देखने को मिली।...http://www.jagran.com/bihar/patna-city-visible-truth-in-drama-15797252.html?src=RN_detail-page


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चारों वर्णों की समानता और एकता
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सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्। ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः