प्रतिरोध का प्रतीक बन गई महामाया

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प्रतिरोध का प्रतीक बन गई महामाया

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पटना। अन्याय सहने की सीमा जब खत्म हो जाती है तो विरोध के स्वर प्रखर हो जाते है। कुछ इसी तरह की कहानी कालिदास रंगालय के प्रेक्षागृह में गुरूवार को देखने को मिला। मौका था रवींद्रनाथ टैगोर की 75वीं पुण्यतिथि के मौके पर 'महामाया' नाटक की प्रस्तुति का। किसलय संस्था के बैनर तले टैगोर की कहानी का निर्देशन शिवजी सिंह ने किया। कलाकारों ने अपने अभिनय से दमनकारी व्यक्तित्व एवं सामाजिक प्रथाओं से नारी-मुक्ति की कहानी को प्रस्तुत कर दर्शकों को परिचित कराया।...http://www.jagran.com/bihar/patna-city-mahamaya-symbol-of-resistance-14530232.html?src=RN_detail-page



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चारों वर्णों की समानता और एकता
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सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्। ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः