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मुक्त किया
जाओ बेटे, मैने तुम्हे आज मुक्त कर दिया। मैने ही नही, हर माँ ने अपने बेटे को मुक्त कर दिया। तुम्हे बाँध लिया था मैने अपने आँचल में। लेकिन बँध गई मैं अपने ही बंधन में। तुमने रेशमी डोर तोड़कर स्वयं को स्वतंत्र कर लिया, मैने तुम्हे आज मुक्त कर दिया। तुम तो अतिथि थे मेरे, अपना बसेरा बनाने से पूर्व आश्रय लेने मेरे घर आए थे। मैने ही घर की दीवारों पर, तुम्हारा नाम लिख दिया। मैने तुम्हे आज मुक्त कर दिया। अपने अंक में भरकर, तुम्हे अपना मान बैठी। तुम्हारे सपनों पर, अपना अधिकार जमा बैठी। तुमने ही तो मुझे, स्वयं को स्वयं से अलग करना सिखलाया। मैने तुम्हे आज मुक्त कर दिया। तुम्हारी अंगुली पकड़कर, जिस राह पर चलना सिखलाया। वह तो पगडंडी थी, तुम्हे मुख्य मार्ग तक ले जाने वाली उसी दोराहे पर आकर, तुमने मेरा हाथ छुड़ाकर अपना रास्ता अपना लिया। मैने तुम्हे आज मुक्त कर दिया। ईश्वर द्वारा नियुक्त मैं धाय थी तुम्हारी, जिसका दायित्व आज पूर्ण हुआ। हे मेरी अनमोल निधि, मैने तुम्हे आज जगत के हवाले कर दिया। मैने तुम्हे आज मुक्त कर दिया।। रेणु 'राजवंशी' गुप्ता Instantly start, sell, manage and grow using our wide range of products & services like payments, free online store, logistics, credit & financing and more across mobile & web. ![]() Personals ================================= चारों वर्णों की समानता और एकता ================ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्। ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः |
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क्या सूरत क्या सीरत थी
माँ ममता की मूरत थी पाँव छुए और काम हुए अम्माँ एक महूरत थी बस्ती भर के दु:ख-सुख में मां एक अहम ज़रूरत थी सच कहते हैं माँ हमको तेरी बहुत ज़रूरत थी मंगल नसीम Instantly start, sell, manage and grow using our wide range of products & services like payments, free online store, logistics, credit & financing and more across mobile & web. ![]() Personals ================================= चारों वर्णों की समानता और एकता ================ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्। ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः |
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लेटी है माँ
आँगन के बीचों-बींच सफ़ेद बुर्राक कपड़ों में लेटी है माँ। माँ, जिसकी बातें- भोर की हवा कुदकती अमराइयों में बौर को सहलाती गुनगुनाती। माँ, जिसका स्पर्श- परियों की कथा सुनते बच्चे अपने उलझे बालों में महसूसते, जिद्दी बच्चों की रुलाई हथेलियों में डूब जाती और फूट पड़ती भुट्टे के दानों-सी हँसी। माँ, जिसकी आँखों में- सातों समुंदर का पानी था सारे समंदर तैरकर पार किए थे माँ ने थकान को निगलते हुए। माँ, जिसके जीवन का कोई किनारा नहीं था था सिर्फ़ सीमाहीन अंधकार माँ थी- बहुत दूर टिमटिमाती रोशनी वही रोशनी नहा-धोकर लेटी है आँगन में। और मेरी बड़ी बहिन! बुत बनी बैठी है आँखों की चमक गायब है क्षितिज तक फैला है रेगिस्तान न ही किसी काफ़िले का दूर तक नामोनिशान, सोचता हूँ- इसकी आँखों के लिए कहाँ से लाऊँ चमक? कहाँ से लाऊँ सूरज-धुली मुस्कान? और मेरी छोटी बहिन! उसके सिर का आकाश लेटा है आँगन में उसकी हिचकियाँ, उसके आँसू लगता है कायनात को डुबो देंगे उसका ज़र्द चेहरा साक्षात पीड़ा बन गया है कहाँ से लाऊँ मैं आकाश, जिसे उसके सिर पर ढक दूँ? कहाँ से लाऊँ वे हथेलियाँ, जो उसके आँसू सोख लें? उँगलियाँ उलझे बालों को सुलझा दूँ जो परियों की कहानी सुनाती माँ बन जाएँ, उसके ज़र्द चेहरे पर, गुलाब खिला दें। कहाँ से लाऊँ वह मीठी नज़र? वह तो लेटी है- निश्चिंत होकर आँगन में। मैं? भाई से तब्दील हो रहा हूँ अचानक सफ़र पर निकले पिता में आँगन में लेटी माँ में ताकि लौटा सकूँ - जो चला गया जो लौटा सकता है - आँखों की चमक चेहरों के ओस नहाए गुलाब बड़ी से बड़ी कीमत पर। Instantly start, sell, manage and grow using our wide range of products & services like payments, free online store, logistics, credit & financing and more across mobile & web. ![]() Personals ================================= चारों वर्णों की समानता और एकता ================ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्। ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः |
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हर वो आँचल
जहाँ आकर किसी का भी मन बच्चा बन जाये और अपनी हर बात कह पाए जहाँ तपते मन को मिलती हो ठंडक जहाँ भटके मन को मिलता हो रास्ता जहाँ खामोश मन को मिलती हो जुबा होता है एक माँ का आँचल. कभी मिलता है ये आंचल एक सखी मे तो कभी मिलता है ये आँचल एक बहिन मे तो कभी मिलता है ये आँचल एक अजनबी मे ओर कभी कभी शब्द भी एक आँचल बन जाते है इसी लिये तो माँ की नहीं है कोई उमर ओर परिभाषा. रचनाकार: रचना सिंह Instantly start, sell, manage and grow using our wide range of products & services like payments, free online store, logistics, credit & financing and more across mobile & web. ![]() Personals ================================= चारों वर्णों की समानता और एकता ================ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्। ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः |
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मीठी नींद सुला दे माँ...
सपनो का पीछा करते करते लगने लगी थकाई बड़े दिन हुए बेफिक्री की नींद नहीं आई फिरसे थकन भुला दे ना बचपन सा सुला दे माँ .. बचपन में बेवजह ही यूँ ही मैं दौर के आता तुझको बैठा देख के तेरी गोदी में सर रख देता शायद लम्बी है दौर बहुत मैं भटक सा गया हूँ कैसे तुझको बतलाऊँ मैं फिर थक सा गया हूँ गोदी में सर रख के मेरा बालों को सहला दे माँ बचपन सा सुला दे माँ . कैसे-कैसे पकड़-पकड़ तू मसल-मसल नेहलाती थी हाथ पैर को रगड़-रगड़.. तू सारा मेल भागती थी खेलते-खेलते जीवन के .. सब खेल खिलोने बदल गए दिल कला कुछ मन मटमैला , कीचाध में पैर फिसल गए एक बार फिर अकड़-अकड़ तू मुझे पकड़ नेहला दे माँ कंघी कर के बाल बना के मीठी नींद सुला दे माँ सारी की तेरी फाल पकड़ .. सीखा मैं खडा होना ऊँगली को पकड़ ,तय किया सफ़र ..छोटे से बड़ा होना इस होड़ हड़बड़ी में अब साँसे फूलती हैं थोडी तुने जो सिखाई थी बातें वो भूलती हैं थोडी सुकून से जीने का मंतर फिर एक बार बतला दे माँ हरदम जो है साथ शिकन , आकर माथा धुला दे माँ .. फिरसे थकन भुला दे ना मीठी नींद सुला दे माँ Instantly start, sell, manage and grow using our wide range of products & services like payments, free online store, logistics, credit & financing and more across mobile & web. ![]() Personals ================================= चारों वर्णों की समानता और एकता ================ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्। ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः |
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मेरी माँ
माँ बनकर ये जाना मैंने, माँ की ममता क्या होती है, सारे जग में सबसे सुंदर, माँ की मूरत क्यों होती है॥ जब नन्हे-नन्हे नाज़ुक हाथों से, तुम मुझे छूते थे. . . कोमल-कोमल बाहों का झूला, बना लटकते थे. . . मै हर पल टकटकी लगाए, तुम्हें निहारा करती थी. . . उन आँखों में मेरा बचपन, तस्वीर माँ की होती थी, माँ बनकर ये जाना मैंने, माँ की ममता क्या होती है॥ जब मीठी-मीठी प्यारी बातें, कानों में कहते थे, नटखट मासूम अदाओं से, तंग मुझे जब करते थे. . . पकड़ के आँचल के साये, तुम्हें छुपाया करती थी. . . उस फैले आँचल में भी, यादें माँ की होती थी. . . माँ बनकर ये जाना मैंने, माँ की ममता क्या होती है॥ देखा तुमको सीढ़ी दर सीढ़ी, अपने कद से ऊँचे होते, छोड़ हाथ मेरा जब तुम भी चले कदम बढ़ाते यों, हो खुशी से पागल मै, तुम्हें पुकारा करती थी, कानों में तब माँ की बातें, पल-पल गूँजा करती थी. . . माँ बनकर ये जाना मैनें, माँ की ममता क्या होती है॥ आज चले जब मुझे छोड़, झर-झर आँसू बहते हैं, रहे सलामत मेरे बच्चे, हर-पल ये ही कहते हैं, फूले-फले खुश रहे सदा, यही दुआएँ करती हूँ. . . मेरी हर दुआ में शामिल, दुआएँ माँ की होती हैं. . . माँ बनकर ये जाना मैंने, माँ की ममता क्या होती है॥ सुनीता शानू Instantly start, sell, manage and grow using our wide range of products & services like payments, free online store, logistics, credit & financing and more across mobile & web. ![]() Personals ================================= चारों वर्णों की समानता और एकता ================ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्। ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः |
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तेरे दामन में सितारे हैं तो होंगे ए फलक
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एक वीराना जिसमे काटी मेने साड़ी उम्र...
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मै रोया यहां दूर देस वहां भीग गया तेरा आंचल
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विष्णु नागर की एक कविता.......
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वो बूढ़ी सी अम्मा
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:: सुणिये मेरी माँ ::
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मोम सी जलती रही
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माँ की अपेक्षा
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माँ
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मां तुम कहां हो
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मां के लिए संभव नहीं होगी मुझसे कविता
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माँ का पिण्ड दान
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शायर: निदा फ़ाज़ली
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रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,
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