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यहां बसते हैं महादेव !
शिव... ! मेरे शिव ! हम सबके शिव .. ! जब बात करते हैं हम शिव की तो आंसुओं की धारा आत्मा को विव्हल करती हुई चुपचाप आंखों की कोर से निकल आती है। शिव .. शक्ति जो बिराजते हैं कैलाश पर.. जहां क्या हम कभी पहुँच पाएंगे ..? क्या उन्हें देख पाएंगे .. या सिर्फ ये एहसास रहेगा कि हे शिव ! कण कण में बसा तू कठिन है शिव .. दुर्गम है शिव .. तू गूढ़ है शिव.. है अंतर्यामी कौन हो तुम.. मेरी रग रग में तुम बसने वाले .. तू मुझमे शिव मैं तुझमे शिव ..!
शक्तिशाली हिमालय की चोटी कैलाश ... जहां देवों के देव त्रिदेव... सृष्टि का विनाशकर्ता पालनकर्ता परम प्रतापी भगवान शिव का घर है ... जहां वे अपनी पत्नी देवी पार्वती और 2 पुत्र भगवान गणेश और कार्तिकेय के साथ अपने सेवको संग वास करते है। यहीं वह स्थल है जहां देवी सती के शरीर का दाया हाथ गिरा था और आज भी एक पाषाण शिला के रूप में उन्हें पूजा जाता है। यहां सूर्य की किरणें पर्वत को सुनहरा कर इसपर रहस्यमयी 'ॐ' बनाती है तो वहीं जब यहां सूर्यास्त होता है तो उसकी परछाई से पर्वत पर स्वस्तिक की छवि उकेरती है ...