Anand Rajadhyaksha
विश्वप्रसिद्ध ROLEX घड़ी बनानेवाली कंपनी के एक CEO थे, Andre J Heiniger, जिनका यह किस्सा मार्क मैककोर्मक ने अपनी पुस्तक What they don’t teach you at Harvard Business School में दिया है।
मार्क लिखते हैं कि वे और हेनिगर विम्बलडन के एक रेस्तौरेंट में बैठे थे तो वहाँ आए एक परिचित ने हेनिगर से पूछा - how’s the watch business?
हेनिगर ने उत्तर दिया - Rolex is not in the watch business.
वो परिचित और मार्क, दोनों ही मुस्कुराये। लो कल्लो बात, ये विश्व की प्रसिद्ध रोलेक्स घड़ी बनानेवाली कंपनी के CEO है, और ये कह रहे हैं कि Rolex is not in the watch business ! मज़ाक ही कर रहे होंगे, और नहीं तो क्या ?
लेकिन हेनिगर हँसे नहीं, बल्कि पूरी गंभीरता से अपनी बात का स्पष्टीकरण दिया। अपना वाक्य दोहराकर बोले - Rolex is not in the watch business. Rolex is in the luxury business.
यह जो अपने बिज़नस को लेकर उनकी स्पष्टता थी उसीके कारण मार्क ने अपनी पुस्तक में इस प्रसंग को स्थान दिया है कि आदमी को पता होना चाहिए कि उसका बिज़नस वाकई क्या है। क्योंकि हो सकता है कि जो दिखता है वो नहीं है, मौलिक रूप से आप को अपने बिज़नस को समझने की आवश्यकता है ताकि आप के असली ग्राहक और उनकी जरूरतों पर आप का फोकस ठीक से हो।
वैसे यह रहा जनरल नॉलेज। चक्रवात फणि (न फनी न फ़ैनी न फ़ोनी) के उत्पात से निबटने के लिए मोदी सरकार ने चुस्त व्यवस्था की है। अन्यथा किसी भी प्राकृतिक या मानव सर्जित आपदा को लेकर पूरी NGO सेना सक्रिय हो जाती है।
इस NGO सेना में वामी होते हैं जो सेलेब्रिटीयों से दान मँगवाते हैं। फिर सलीबी गिद्ध तो होते ही हैं, कनवर्ज़न के लिए ढूंढते फिरते।
कुल मिलकर, रोलेक्स के CEO वाली कहानी का और इन NGO का क्या ताल मेल ? उत्तर सरल है। जैसे हेनिगर अपने धंधे को लेकर स्पष्ट थे वैसे ये भी स्पष्ट होते हैं, बस सार्वजनिक स्वीकार करने से रहे। इसलिए इनका असली धंधा क्या है यह हमें ही बोलना आवश्यक होता है।
They are in the disaster business.
वैसे इस पोस्ट पर मुझे but but but ...what about.... वाली प्रजाति का इंतज़ार रहेगा इसलिए इस पोस्ट में एक बात का उल्लेख नहीं किया है।